भागवत ने कहा कि जब हम कहते हैं कि इस देश के 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं, क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा कि जाति, पंथ, संप्रदाय, प्रांत और तमाम विविधताओं के बावजूद हम सभी को मिलकर भारत निर्माण करना है.
संघ प्रमुख ने भारत की गुलामी का जिक्र करते हुए कहा, ‘मुट्ठी भर लोग आते हैं और हमें गुलाम बनाते हैं, हमारी कमियों की वजह से ऐसा होता है. हम जब-जब हिन्दू भाव भूले हैं, तब-तब विपत्ति आयी है.’
भागवत ने अन्य धर्मावलम्बियों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘हम राम-कृष्ण को नहीं मानते, कोई बात नहीं, लेकिन इन सब विविधताओं के बावजूद हम सब हिन्दू हैं. जिनके पूर्वज हिन्दू थे, वे अब भी हिन्दू हैं. हम अपनी संस्कृति से एक हैं. हम अपने भूतकाल में भी एक हैं. यहां 130 करोड़ लोग हिन्दू हैं, क्योंकि आप भारत माता की संतान हैं.’